अमोल मालुसरे – मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ ग्राम न्यायालय अधिनियम, 1996 (क्रमांक 26 सन 1997)* के अधीन धारा 13 के अनुसार ग्राम न्यायालय का सचिव कौन होगा?
उत्तर / जानकारी – मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ ग्राम न्यायालय अधिनियम, 1996 (क्रमांक 26 सन 1997)* के अधीन धारा 13 के अनुसार –
धारा 13. ग्राम न्यायालय का सचिव-
1) विधि का जानकार व्यक्ति जो जनपद पंचायत द्वारा धारा 5 के अधीन सदस्य के रूप में नामनिदेशित किया गया है ग्राम न्यायालय का पदेन सचिव होगा।
2) सचिव ग्राम न्यायालय को इस अधिनियम के अधीन उसके कृत्यों के पालन में सहायता करेगा तथा ऐसे अन्य कृत्यों का पालन करेगा जैसा कि विहीत किया जाए।
टिप्पणी-
धारा 13- जनपद पंचायत द्वारा धारा 5 के अधीन नामनिर्देशित सदस्य ग्राम न्यायालय का पदेन सचिव होगा। यह अधिनियम के अधीन कृत्यों के पालन में सहायक होगा तथा प्रधान अधिनियम द्वारा या उसके अधीन कृत्यों का पालन करेंगे।
धारा 5. ग्राम न्यायालय का गठन- 1) प्रत्येक ग्राम न्यायालय में सात सदस्य होंगे जो जनपद पंचायत द्वारा सर्वसम्मति से नामनिर्देशित किये जायेंगे जिनमें से एक विधि का जानकार व्यक्ति होगा, और उस दिशा में जहाँ जनपद पंचायत, यथास्थिति,धारा 4 के अधीन ग्राम न्यायालय की स्थापना की तारीख से या किसी पद के रिक्त होने की तारीख से साठ दिन के भीतर किसी सदस्य को सर्वसम्मति से नाम निर्देशित करने में असफल रहती है, वहाँ राज्य सरकार ऐसे सदस्य को नाननिर्देशित करेगी।
2) अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछडे वर्गो॔ में से प्रत्येक के लिए एक एक स्थान ऐसी जाति, जनजाति या वर्ग के व्यक्तियों के लिये आरक्षित रहेगा:
परन्तु यदि इन प्रवर्गों में से किसी प्रवर्ग का कोई अभयर्थी उपलब्ध नहीं होता है तो उस प्रवर्ग के लिए आरक्षित स्थान अनारक्षित हो जाएगा।
3) एक स्थान महिलाओं के लिए आरसित होगा तथा भिन्न-भिन्न प्रवर्गों को चक्रानुक्रम से आबंटित किया जाएगा।
टिप्पणी-
धारा 5- (1) प्रत्येक ग्राम न्यायालय में जनपद पंचायत सात सदस्यों का नाम निर्देषण सर्वसम्मति से किया जावेगा। यदि जनपद पंचायत यथास्थिति-
(i) ग्राम न्यायालय की स्थापना के दिनांक से साठ दिन की अवधि के भीतर यदि धारा 4 के अधीन सर्वसम्मति से नाम निर्देशित (नामिनेशन) नहीं करती है, या
(ii) ग्राम न्यायालय में किसी पद के रिक्त होने की दशा में साठ दिन की अवधि के भीतर किसी सदस्य का नाम निर्देशन नहीं कर पाती है।
तब राज्य सरकार को यह अधिकार होगा कि धारा 5(1) के प्रावधानों के अधीन वह नामनिर्देशित कर सकेगी।
2) धारा 5 (2) के अनुसार आरक्षण निम्नलिखित होगा-
(अ) अनुसूचित जातियों के लिए – एक स्थान
(ब) अनुसूचित जनजातियों के लिए – एक स्थान
(स) अन्य पिछडे वर्ग के लिए – एक स्थान
परन्तु यदि इन प्रवर्गों का कोई अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं होता है तो उस प्रवर्ग के लिए आरक्षित स्थान “अनारक्षित” हो जाएगा
धारा 14. सदस्यों के भत्ते-
सदस्य ऐसे मानदेय, यात्रा भत्ते और दैनिक भत्ते प्राप्त करेंगे जैसा कि विहीत किया जाए।
टिप्पणी-
धारा 14- सदस्य मानदेय, यात्रा भत्ते, दैनिक भत्ते उक्त धारा में दिए रीति के अनुसार ही प्राप्त कर सकेंगे।