सदस्य का नाम निर्देशन

अमोल मालुसरे – मध्यप्रदेश ग्राम न्यायालय नियम  2001 के अधीन  नियम 52  के अनुसार सदस्य का नाम निर्देशन हेतु नियम क्या है?

उत्तर / जानकारी – मध्यप्रदेश ग्राम न्यायालय नियम  2001 के अधीन  नियम 52  के अनुसार

नियम 52. सदस्य का नाम निर्देशन-

1. जनपद पंचायत , ऐसे सदस्यों को नामनिर्दिष्ट करेगी जिनके पास अधिनियम की धारा 6 के अधीन विहीत अर्हता है। इस प्रकार किए गए नामनिर्देशन की संसूचना राज्य सरकार को दी जाएगी। इस प्रकार प्रापत किए गए नामनिर्देशनों की परीक्षा की जाएगी और यह पाया जाता है कि इस प्रकार नाम निर्देशन किए जाने वाले अर्हित व्यक्तियों की बाबत नामनिर्देधन उचित रूप से किया गया है तो इसका अनुमोदन संबंधित जनपद पंचायत को संसूचित किया जाएगा। तत्पश्चात मुख्य कार्यपालन अधिकारी नियम 53 में यथा उपबंधित सम्मिलन बुलायेगा।

 

2) उस दशा में, जब जनपद पंचायत, अधिनियम की धारा 5  के अधीन सदस्यों को नाम निर्देशित करने में असफल रहती है तो राज्य सरकार, ग्राम न्यायालय के सदस्योको उन नामों के, जो कलेक्टर द्वारा एवं सत्र न्यायाधीश के परामर्श से भेजी गई रिक्तियों की संख्या के तीन गुने से अधिक नहीं होंगे, पैनल में से नाम निर्देशित करेगी।

 

3)  ग्राम न्यायालय के सदस्योँ के नाम निर्देशन हेतु जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा पंचायत के सभी सदस्यों को सात दिवस पूर्व की अग्रिम लिखित सूचना देते हुए सभा आयोजित की जाएगी। सभा में उपस्थित सदस्यों में से किसी भी सदस्य द्वारा ग्राम न्यायालय के लिये अधिनियम की धारा 5 व 6 के प्रावधानों के अन्तर्गत नाम निर्देशन किये जाने वाले सदस्य के नाम का प्रस्ताव किया जायेगा तथा उपस्थित सभी सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से उक्त सदस्य के नाम का अनुमोदन किया जायेगा। यदि सभा के सदस्यों के मध्य किसी सदस्य के नाम निर्देशन किये जाने में सहमति नहीं है तो इस संबंध में कार्यवाही विवरण पुस्तिका में उलोलेख किया जायेगा तथा उक्त सदस्य का नाम निर्देशन नहीं किया जायेगा।

 

4)  यदि राज्य शासन को यह समाधान हो जाता है कि जनपद पंचायत द्वारा किसी ग्राम न्यायालय के लिए नाम निर्देशित किये गये सदस्यों की कार्यवाही अधिनियम की धारा 5, 6, 7  के प्रावधानों के विरीत है अथवा अन्य किसी समुचित आधार पर कार्यवाही का विधि विरूद्ध होना या दुषित होना पाया जाता है तो उस स्थिति में राज्य सरकार या उसके द्वारा अधिकृत अधिकारी ऐसे नाम निर्देशन की कार्यवाही को अपास्त कर देगा व उपयुक्त आदेश पारित कर सकेगी।

 

 

धारा 6.  ग्राम न्यायालय की सदस्यता के लिए अर्हता- कोई भी ग्राम न्यायालय के सदस्य के रूप में नामनिर्देशित किये जाने के लिए पात्र नहीं होगा, जब तक कि-

(क) उसने नामनिर्देशित किये जाने की तारीख को 45 वर्ष की आयु पूर्ण नहीं कर ली है;

 

(ख) वह उस वृत्त का, जिसके लिए ऐसा ग्राम न्यायालय स्थित किया गया है, मामूली तौर से निवासी नहीं है;

 

(ग) अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के मामले में आठवीं कक्षा तथा अन्य के मामले मेंमैट्रीक की परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर ली है;

परन्तु किसी ऐसे क्षेत्र में, जिसका उल्लेख नियमों में किया जायेगा, कोई अनुसूचित जाति अथवा जनजाति का सदस्य आठवीं कक्षा उत्तीर्ण उपलब्ध नहीं होता है तो यथास्थिति जनपद पंचायत अथवा राज्य सरकार निर्धारित आयु एवं शैक्षणिक योग्यता को शिथिल करते हुये किसी उपयुक्त व्यक्ति को नामनिर्देशित कर सकेगी;

परन्तु यह और भी कि विधि के जानकार व्यक्ति की अनुपलब्धता की दशा में न्यूनतम आयु सीमा 25  वर्ष तक की जा सकेगी।

केवल मध्यप्रदेश हेतु संशोधन

म.प्र. संशोधन अधिनियम क्र. 7 सन 2002 द्वारा प्रतिस्थापित । म.प्र. राजपत्र असाधारण दिनांक 1-1 2002 में प्रकाशित।

धारा 6 (ग) – महिलाओं और अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के मामले में पांचवी कक्षा तथा अन्य मामलों में मैट्रीक की परिक्षा उत्तीर्ण नहीं कर ली है।

परन्तु किसी ऐसे क्षेत्र में, जिसका उल्लेख नियमों में किया जायेगा, कोई अनूसूचित जाति अथवा जनजाति का सदस्य पांचवी कक्षा उत्तीर्ण उपलब्ध नहीं होता है, तो यथास्थिति जनपद पंचायत अथवा राज्य सरकार निर्धारित आयु एवं शैक्षणिक योग्यता को शिथिल करते हुए किसी उपयुक्त व्यक्ति को नाम निर्देशित कर सकेगा:

परन्तु यह और कि विधि का जानकार व्यक्ति या विहीत अर्हता की महीला सदस्य उपलब्ध न होने की दशा में न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष तक जा सकेगी।

 

टीप्पणी

धारा 6- (ड) धारा 6 के प्रथम परन्तुक- उक्त परन्तुक के अनुसार यदि अनूसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के संबंध में आठवी कक्षा पास सदस्य उपलब्ध ना हो पावे या ऐसा सदस्य जिसने अपनी आयु के 45 वर्ष पूर्ण ना की हो तो जनपद पंचायत या राज्य सरकार सदस्य के आयु तथा शैक्षणिक योग्यता के प्रतिबंध को शिथिल कर सकेगी और किसी उपर्युक्त व्यक्ति को नाम- निर्देशित कर सकेगी।

 

(ई) अन्य सदस्यों की शैक्षणिक योग्यता मैट्रीक उत्तीर्ण होना चाहिए।

 

(क) सदस्य को ग्राम न्यायालय के वृत्त के क्षेत्र के भीतर का होना अनिवार्य है।

 

(ख) अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछडे वर्गों के किसी भी प्रवर्ग का कोई अभ्यर्थी यदि उपलब्ध नहीं होता है तो वह स्थान उस प्रवर्ग के लिए अनारक्षित हो जाएगा।

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