अमोल मालुसरे – मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ ग्राम न्यायालय अधिनियम, 1996 (क्रमांक 26 सन 1997)* के अधीन धारा 21 के अनुसार ग्राम न्यायालय की प्रक्रिया के नियम तथा शक्तियाँ क्या है ?
उत्तर / जानकारी – मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ ग्राम न्यायालय अधिनियम, 1996 (क्रमांक 26 सन 1997)* के अधीन धारा 21 के अनुसार –
धारा 21. ग्राम न्यायालय की प्रक्रिया के नियम तथा शक्तियाँ-
1) राज्य सरकार ग्राम न्यायालय की पध्दति तथा प्रक्रिया को विनियमित करने के लिये नियम बना सकेगी;
2) ग्राम न्यायालय को अपने कृत्यों के पालन में, किसी सिविल, राजस्व या आपराधिक मामले का विचारण करते समय निम्नलिखित विषयों के संबंध में किसी न्यायालय की समस्त शक्तियाँ होंगी, अर्थात-
क) साक्षियों को शमन करना तथा हाजिर कराना;
ख) किसी दस्तावेज को पेश करने की अपेक्षा करना;
ग) किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी लोक अभिलेख की अपेक्षा करना।
3) ग्राम न्यायालय को यह शक्ति होगी कि वह किसी व्यक्ति से यह अपेक्षा करे कि वह व्यक्ति ऐसे बिंदुओं या विषयों पर ऐसी जानकारी दे जो ग्राम न्यायालय की राय में ग्राम न्यायालय के विचारधीन किसी मामले में उपयोगी या सुसंगत है।
4) ग्राम न्यायालय, तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी अपने समक्ष किसी सिविल, राजस्व या आपराधिक कार्यवाही का विचारण करते समय सामान्यत: नैसर्गिक न्याय के सिध्दांतो॔ द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त करेगा, अर्थात-
क) यदि किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई दावा किया गया है या यदि किसी व्यक्ति पर किसी अपराध का अभियोग लगाया गया है तो ऐसे व्यक्ति को, यथास्थिति, दावे की या अभियोग के आधारों की यथाशक्य शीघ्र सूचना दी जाएगी;
ख) किसी मामले में विनिश्चय किये जाने के पूर्व प्रत्येक ऐसे व्यक्ति को मामले में सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर दिया जाएगा।
5) विशिष्टतया किसी मामले का विचारण करते समय ग्राम न्यायालय इस अधिनियम में तथा उसके अधीन बनाए गए नियमों म अधिकथित की गई प्रक्रिया का अनुसरण करेगा।