लेखाओं का रजिस्टर

अमोल मालुसरे – मध्यप्रदेश ग्राम न्यायालय नियम  2001 के अधीन  नियम 76  के अनुसार ग्राम न्यायालय द्वारा लेखाओं का रजिस्टर बनाये जाने हेतु क्या नियम है?

उत्तर / जानकारी – मध्यप्रदेश ग्राम न्यायालय नियम  2001 के अधीन  नियम 75  के अनुसार

 

नियम 76.  लेखाओं का रजिस्टर-

1) ग्राम न्यायालय द्वारा जुर्माना, फिस या अन्य लेखे प्राप्त समस्त रकम उस न्यायालय की निधि के रूप में रहेगी और ग्राम न्यायालय

द्वारा उसके कृत्यों के पालन में उसका उपयोग किया जा सकेगा। प्रत्येक ग्राम न्यायालय

प्राप्तियों तथा व्यय के लिए इन नियमोंमें विहीत रीति से इन नियमों से संलग्न रजिस्टर तथा प्ररूप रखेगा। रजिस्टर का उपयोग करने से पूर्व उसकी जिल्दबंदी की जाएगी और पृष्ठों को क्रमांकित किया जाएगा। उनमें किये गये किसी सुधार पर न्यायालय सहायक द्वारा प्रतिहसताक्षर किए जाएंगे और ग्राम न्यायालय के न्यायालय सहायक का यह उत्तरदायित्व होगा कि वह उन लेखाओं को बनाए रखें

 

2)  ग्राम न्यायालय को देय किसी रकम को पर्याप्त कारण के बिना शोध्य रखना अनुज्ञात नहीं किया जाएगा। उस दशा में, जब ऐसी रकम, वसूली योग्य प्रतीत नही होती हो तो उसे ग्राम न्यायालय के निर्विरोध अनुमोदन से बट्टे खाते डाला जा सकेगा।

 

3) ग्राम न्यायालय कोष से कोई भी रकम तब तक नहीँ निकाली जाएगी जब तक कि तुरंत उपयोग के लिए अपेक्षित  हो। एक संव्यवहार में निकाली जाने वी अधिकतम रकम ऐसी होगी, जैसा कि ग्राम न्यायालय द्वारा विनिश्चित किया जाए। बिना खर्च किया हुआ अतिशेष यदि कोई हो, जो 200/-  रूपये से अधिक नहीं हो, न्यायालय सहायक के पास रखा जा सकता है और उससे अधिक किसी राष्ट्रीयकृत बैंक, सहकारी बैंक, पोस्ट आफिस में बचत खाते में जमा की जाएगी। ऐसा बचत खाता प्रधान और न्यायालय सहायक द्वारा संबंधित ग्राम न्यायालय के नाम से खोला जाएगा और दोंनो के द्वारा संयुक्त रूप से प्रचालित किया जाएगा। समस्त रकम उनके संयुक्त हस्ताक्षर के अधीन चैक, आहरण स्लिप द्वारा निकाली जाएगी।

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