सम्पत्ति की अभिरक्षा तथा व्ययन

अमोल मालुसरे – मध्यप्रदेश ग्राम न्यायालय नियम  2001 के अधीन  नियम 29  के अनुसार आपराधिक मामलों का विचारण के लम्बित रहते सम्पत्ति की अभिरक्षा तथा व्ययन हेतु क्या नियम है?

उत्तर / जानकारी – मध्यप्रदेश ग्राम न्यायालय नियम  2001 के अधीन  नियम 29  के अनुसार

नियम 29.  विचारण के लम्बित रहते सम्पत्ति की अभिरक्षा तथा व्ययन –

1) जब यह प्रतीत हो की कोई सम्पत्ति किसी अपराध के किये जानेमें उपयोग में लाई गई है अथवा किसी अपराध की विषयवस्तु है, ग्राम न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान पेश की गई है, तो ग्राम न्यायालय, विचारण की समाप्ति के लम्बित रहने तक ऐसी सम्पत्ति की उचित अभिरक्षा के लिए ऐसा आदेश कर सकेगा, जैसा कि वह उचित समझे और यदि सम्पत्ति शीघ्र अथवा प्राकृतिक रूप से नष्ट होने वाली है अथवा ऐसा करना अन्यथा समीचीन है, तो वह ऐसा साक्ष्य, जैसा कि वह आवश्यक समझे,लेखबध्द करने के पश्चात इसका विक्रय करने अथवा अन्यथा व्ययन करने का आदेश दे सकेगा।

 

2)   विचारण की समाप्ति पर ग्राम न्यायालय किसी सम्पत्ति या दस्तावेज को, जो उसके समक्ष पेश किये हों या उसकी अभिरक्षा में हो या जिनके बारे में कोई अपराध किया जाना प्रतीत हो या जिनको किसी अपराध के किये जाने में उपयोग में लिया गया हो, नष्ट करके, अधिहरण करके या उसके कब्जे का हकदार होने का दावा करने वाले किसी व्यक्ति को परिदान करके या अन्यथा व्ययन के लिए ऐसा आदेश, जैसा कि वह उचित समझे, कर सकेगा।

 

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