अमोल मालुसरे – मध्यप्रदेश ग्राम न्यायालय नियम 2001 के अधीन नियम 43 के अनुसार न्यायालयों की अधिकारिता का अपवर्जन हेतु क्या नियम है ?
उत्तर / जानकारी – मध्यप्रदेश ग्राम न्यायालय नियम 2001 के अधीन नियम 43 के अनुसार
नियम 43. न्यायालयों की अधिकारिता का अपवर्जन- अधिनियम में उपबन्धित के सिवाय, कोई सिविल, दाण्डिक अथवा राजस्व न्यायालय किसी ऐसे मामले का विचारण नहीं करेगा या किसी ऐसे अपराध का संज्ञान नहीं करेगा जो किसी ग्राम न्यायालय द्वारा विचारण योग्य है, जिसके संबंध में नियम 40 के अधीन अधिसूचना जारी की गई है।
नियम 40. ग्राम न्यायालय के प्रारम्भ की तारीख-
1) ग्राम न्यायालय के सदस्यों के प्रशिक्षण के पूर्व होने के तुरन्त पश्चात और ग्राम न्यायालय के प्रारंभ होने तथा काम करने की तारीख कलेक्टर द्वारा अधिसूचित की जाएगी। इस प्रकार अधिसूचित तारीख के पश्चात सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 तथा मध्यप्रदेश भू- राजस्व सँहिता, 1959 में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी ग्राम न्यायालय को, अधिनियम के उपबन्धो के अध्यधीन रहते हुए, अदिनियम में यथा विनिर्दिष्ट सिविल , अपराधिक तथा राजस्व मामलों के विचारण की अनन्य अधिकारिता होगी।
2) उपनियम 1 के अधीन प्रकाशित अधिसूचना केठिक पूर्व लम्बित सभी मामले, संबंधित न्यायालयों द्वारा न्यायनिर्णित होंगे।