अमोल मालुसरे – मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ ग्राम न्यायालय अधिनियम, 1996 (क्रमांक 26 सन 1997)* के अधीन धारा 7 के अनुसार ग्राम न्यायालय की सदस्यता के लिए निरर्हताएँ क्या है?
उत्तर / जानकारी – मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ ग्राम न्यायालय अधिनियम, 1996 (क्रमांक 26 सन 1997)* के अधीन धारा 7 के अनुसार –
धारा 7. ग्राम न्यायालय की सदस्यता के लिए निरर्हताएँ-
(1) कोई व्यक्ति ग्राम न्यायालय के सदस्य के रूप में चुने जाने तथा सदस्य होने के लिए निरर्हित होगा, यदि वह-
क) किसी ग्राम पंचायत के सरपंच, उप सरपंच या किसी जनपद पंचायत या जिला पंचायत का पदाधिकारी है या विधान सभा के सदस्य, सासंद, कृषि उपज मंडी समिति के अध्यक्ष, उपध्यक्ष या सहकारी संस्थांओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष है; या
ख) तत्समय म. प. पंचायत राज अधिनियम, 1993 (क्र. 1 सन 1994) के या निर्वाचनों से संबंधित किसी अन्य विधि के उपबंधों के अधीन निर्वाचित होने के लिये निरर्हीत है।
2) यदि इस संबंध में कोई प्रश्न उदभूत होता है कि क्या ग्राम न्यायालय का कोई सदस्य उपधारा 1 में उल्लेखित किन्हीं निरर्हताओं के अध्यधीन हो गया है, तो वह प्रश्न कलेक्टर को निर्देशित किया जाएगा।
टिप्पणी-
धारा 7- ग्राम न्यायालय के सदस्य के रूप में चुनू जाने तथा सदस्य होने के लिए निम्नलिखित व्यक्ति निरर्हीत (डिसक्वाली-फाइड) होंगे, यदि वह-
अ) किसी ग्राम पंचायत का सरपंच / उप सरपंच है, या
ब) किसी जनपद पंचायत या जिला पंचायत का पदाधिकारी है, या
स) व्यक्ति विधान सभा का सदस्य है, या
द) व्यक्ति संसद सदस्य है, या
ड) व्यक्ति, कृषि उपज मंडी कमेटी का अध्यक्ष है या किसी कृषि उपज कमेटी का उपाध्यक्ष है, या
क) व्यक्ति सहकारी संस्थाओं का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष है, या
ख) (i) तत्समय म. प्र. पंचायत राज अधिनियम (1994 का 1) , या
(ii) निर्वाचनों से संबंधित किसी अन्य विधि के उपबंधों के अधीन निर्वाचित होने के लिए निरर्हित (डिसक्लाली फाइड) है।
ग ) धारा 7 (2) के अधीन यदि कोई ऐसा प्रश्न पैदा होता है कि कोई सदस्य धारा 7 (1) के अधीन ग्राम न्यायालय के सदस्य होने के लिए निरर्हीत हो गया है तो वह प्रश्न जिलाधीश को निर्देशित किया जायेगा।